Thursday, 15 December 2011

haider ganj karah


 राजगीर के पहाड़ो और नालंदा के बीचो बीच सिलाव से 1 कि.मी पूरब में बसी पुरानी बस्ती को हैदर गंज कड़ाह के नाम से जाना जाता है* अगर हम तारीख पर नज़र डाले तो कभी इस बस्ती को हज़रत सरफुद्दीन याहिया मनेरी की गुजरगाह बनने का गोरव हासिल रहा है* 
एक तहकीक के मुताबिक मुगलिया दौर के नामूर आलम दिन हजरत मुल्ला मोहीब उल्लाह बिहारी (र.अ. ) यहीं पैदा हुए और बच्पन के कुछ अरसे यहीं गुजारे* आप की दो किताबे सहमुल उलूम और मुस्लिमुल शबूत आज भी दरसे निजामी का हिस्सा है*


यूं तो तारिखी ऐतबार से यह बस्ती जमींदारो की मानी जाती रही है* लेकिन हुकुमत हिन्द के जमींदारी खात्मे के फैसले के बाद यहाँ के मुसलमानों को अपनी आमदनी के लिए दुसरे काम के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ा जिसके बाद लोग अलग अलग करोबार से जुड़े* कभी यहाँ पारचा बाकी का काम भी जोरो पर रहा* पर कहते है न वक़्त हमेशा एक सा नहीं रहता* बदलते वक़्त ने यहाँ के हालत और काम दोनों को बदल कर रख दिया और बाद में बीड़ी साज़ी ने इसकी जगह ले ली* जो आज भी देखा जा सकता है* 
 कुछ लोग आमदनी की तलाश में आस पास के शहरों और खास कर कलकत्ता का रूख  किया* कुछ अरसे बीत जाने के बाद सभी का रुझान दिल्ली कि ओर मुड़ गया जो आज तक जरी है* लेकिन इस पुरे मुद्दत में यहाँ की आबादी ग़ुरबत से दो चार रही और बीड़ी रोजगार के मामूली ज़राय से जुडी रही लेकिन इल्मी दावती और तहरीकी सरगर्मियों से कभी महरूम ना रही*अलग अलग मोहल्ले में तीन शानदार मस्जिद जामा मस्जिद, नूरानी मस्जिद और एक मीनार मस्जिद*
अज़ीम दिनी-दरसगाह मदरसा ज्याउल उलूम,इल्मी मतबालो के लिए आज़ाद हिन्द लाइब्रेरी,लड़कियों के लिए आसिम बिहारी गर्ल्स हाई स्कूल,बच्चो की इंग्लिश तालीम के लिए अल-अमान अकेडमी है*         
यहाँ अलग अलग दिनी व दावती जमातो की सरगर्मिय अरसे से जरी है* यहाँ के इलमी व दावती माहोल को जहाँ मुकामी आदमियों का अमल दखल रहा है वहीँ बाहर से तशरीफ़ लाने वाले माहिर उस्तादों के किरदार को भी फरामोश नही किया जा सकता* उन्होंने अपने वतन और परिवार की मुहब्बत को कुर्बान करके इस बस्ती को अपना बना लिया* और इल्म की खिदमत में यहीं के होकर रह गए* यही वजह है की इस बस्ती का शायद ही कोई ऐसा घराना हो जो यहाँ के इलमी व दावती माहोल से फैज़ियाब न हुआ हो* 
यहाँ की ओरतों को दिनी व अरसी तालीमहै* वह शायद ही किसी और बस्ती में हो* मर्दों में तालीम का म्यार और हेरत अंगेज़ है* डाक्टर,इंजिनियर,शहाफी  जर्नलिस्ट),मौलाना,मुफ्ती,हाफिज़,कारी,उस्ताद (टीचर) वकील,फौजी,वीडयो और न जाने कितने ही इल्म वाले है और अपने अपने मैदानों में काम को अंजाम दे रहे है* इनके अलावा ज्यादा बड़ी तादाद वह है जो कारोबार से जुड़े हुए है*
इस बस्ती में अलग अलग बारादरी के लोग रहते है लेकिन फिर भी आपसी मेलजोल अपने आप में एक मिसाल है